Saturday, 17 October 2015

माउस ( Mouse ) क्या है?

माउस कंप्यूटर के इनपुट डिवाइस में से एक अहम यंत्र है. एक माउस को Pointing Device  भी कहा जाता है क्योकि ये आपको कंप्यूटर स्क्रीन पर मूव करने, चिन्हित करने, चुनने और क्लिक करने में मदद देता है. माउस में दो बटन होते है – 1.)  Right बटन और 2.) Left  बटन.  इनके साथ ही इसके बीच में एक चक्र भी होता है जो आपको ऊपर और नीचे आने में मदद करता है. माउस में दिए दोनों बटन का कार्य अलग अलग होता है. लेफ्ट बटन आपको किसी भी फाइल को ओपन करने के लिए काम आता है. ये एक तरह से ओके ( ok ) के बटन की तरह होता है. जबकि  राईट बटन आपको उस फाइल से जुड़े अन्य आप्शन देता है.
कंप्यूटर माउस का मुख्य काम आपके हाथो के हावभाव को सिग्नल में बदलना है ताकि उसे कंप्यूटर इस्तेमाल कर सके. इन्हें सिग्नल को पकड़ने के लिए माउस में एक ट्रैक बॉल होती है. तो पहले ये जानते है कि ट्रैक बॉल कैसे काम करती है.
 
माउस के लाभ और हानि
माउस के लाभ और हानि

-    माउस के अंदर एक छोटी से बॉल होती है जिसे ट्रैक बल कहते है. जब ये माउस हिलता है तो ये बॉल भी हिलती है और सिग्नल लेकर कंप्यूटर डेस्कटॉप में उसी तरह माउस पॉइंटर को हिलती है.
-    माउस के अंदर दो रोलर होते है एक वो जो X ( Horizontal ) दिशा के सिग्नल पकड़ कर काम करता है और दूसरा Y ( Vertical ) दिशा के सिग्नल पकड़ कर काम करता है. ये बिलकुल आपके मैथ्स के कार्तेसियन प्लेन ( Cartesian Plane ) की तरह काम करता है.
-    इन दोनों रोलर से एक शाफ़्ट ( shaft ) जुडा होता है और शाफ़्ट एक डिस्क को उसके छेद की मदद से घुमाता है. इसलिये जब भी रोलर घूमते है तब शाफ़्ट घूमता है, साथ ही डिस्क भी घूमना शुरू कर देती है
-    इस डिस्क के एक तरफ LED होती है तो दूसरी तरफ सेंसर. जब भी LED से रोशनी आती है तो डिस्क का छेद उसे तोड़ देता है ताकि सेंसर उस रोशनी की पल्सेस को पढ़ सके. पल्सेस की गति ही माउस की गति को आधार देती है. जितनी ज्यादा पल्सेस होंगी आपके माउस की गति भी उतनी ही ज्यादा होगी.
-    अंत में माउस में लगा एक प्रोसेसर उन सेंसर से उन पल्सेस की जानकारी को लेकर उन्हें कंप्यूटर की भाषा ( Binary Language ) में बदल देता है. जिसे कंप्यूटर आसानी से समझ कर काम करने लगता है. तो इस तरह से आपका माउस आपके हाथो के हावभाव को पढ़ कर कंप्यूटर डेस्कटॉप तक जानकारी को पहुंचता है.
माउस को कंप्यूटर से जोड़े:
USB के आने से किसी भी बाहरी यंत्र ( जैसे प्रिंटर, कीबोर्ड, डिजिटल कैमरा इत्यादि ) को कंप्यूटर से जोड़ना बहुत ही आसान हो गया है इसलिए आजकल तो माउस को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए भी USB कनेक्टर का इस्तेमाल होता है. लेकिन पहले माउस को कंप्यूटर से जोड़ने के लिए PS/2 कनेक्टर का इस्तेमाल होता था. इसके अलावा भी कुछ कंप्यूटर में कुछ सीरियल टाइप के कनेक्टर का इस्तेमाल होता था.
माउस के प्रकार :
माउस मुख्यतः 5 प्रकार के होते है, जो निम्नलिखित है.
1.       सामान्य माउस ( केबल के साथ ) : इन माउस का सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है. ये वे माउस होते है जो हम सामान्यतः अपने आसपास देखते है, जिनको कंप्यूटर से एक केबल की मदद से जोड़ा जाता है
2.       वायरलेस माउस : ज्यादातर वायरलेस माउस कंप्यूटर के साथ जुड़ने के लिए रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करते है. इनमे एक ट्रांसमीटर ( Transmitter ) और एक रेसिएवर ( Receiver ) लगा होता है. ट्रांसमीटर आपके हाथो के हावभाव को पहचान कर सिग्नल के द्वारा कंप्यूटर तक सिग्नल भेजता है, और रेसिएवर जो आपके कंप्यूटर से जुड़ा होता है उन सिग्नल को पकड़ता है. फिर उन्हें कंप्यूटर की लैंग्वेज में बदल कर आपके माउस ड्राईवर तक भेजता है. जिसके आधार पर कंप्यूटर डेस्कटॉप पर माउस काम करता है.
3.       ब्लूटूथ माउस : ब्लूटूथ माउस भी रेडियो फ्रीक्वेंसी पर काम करता है. ब्लूटूथ तकनीक से आप न सिर्फ माउस बल्कि प्रिंटर, हेडसेट, कीबोर्ड इत्यादि यंत्रो को भी कोम्प्टर से आसानी से जोड़ सकते हो. इसके लिए आपके कंप्यूटर में ब्लूटूथ अडाप्टर का होना बहुत जरुरी है. ताकि आपका कंप्यूटर में ब्लूटूथ चल सके और वो ब्लूटूथ के सिग्नल को पा सके. ब्लूटूथ माउस की रेंज लगभग 33 फूट ( 10 मीटर ) होती है. 
4.       RF माउस : इसके लिए आपको एक रिसीवर को USB की तरह अपने कंप्यूटर में लगाना होता है. ये सिर्फ आपके उस कंप्यूटर माउस के ही सिग्नल लेगा, जिसको आपने कंप्यूटर के साथ जोड़ा है. ये भी 33 फूट की दूरी तक काम करने की क्षमता रखते है. 
5.       बायोमेट्रिक माउस ( Biometric mouse) : बायोमेट्रिक माउस को सुरक्षा की दृष्टी को ध्यान में रख कर बनाया गया था. ये सिर्फ उस माउस को काम करने की अनुमति देता है जिसको आपके कंप्यूटर में मान्यता प्राप्त हो. इसमें आपके फिंगर प्रिंट को भी सिग्नल के द्वारा लिया जाता है ताकि आपका माउस आपके अलावा कोई और न इस्तेमाल कर सके. इसके इस्तेमाल के लिए आपको अपने कंप्यूटर में एक सॉफ्टवेर इनस्टॉल करना पड़ता है, जो आपको इस माउस को खरीदते वक़्त आपको मिलेगा. आप इस सॉफ्टवेर को इनस्टॉल करे, अपने फिंगरप्रिंट रजिस्टर करके स्टोर करे और फिर आप अपने माउस का आसानी से इस्तेमाल करे.
 

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